आज वसंत पचमी है। ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन। वसंत जाड़े के जकड़न और गर्मी की बेचैनी के मध्य 40 दिनों का माना जाता है। माघ शुक्ल पंचमी से आरम्भ होकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा 'होलिकोत्सव' पर उसका समापन किया जाता है। मौसम करवट बदलने लगता है और बर्फीली ठंडक बिदाई की अंतिम घड़ियाँ गिनने लग जाती है। पतझड़ से ठूँठ हुए वृक्षों में नई कोपलें निकल आती हैं।हरी हरी नरम कोपलें बहुत ही मोहक होती है। पौधों में सुन्दर सुन्दर नए फूल खिल उठते हैं।पक्षियों का कलरव, भौरों की गुंजार, रंग बिरंगी तितलियों का मंडराना, सरसों के पीले पीले फूल , आम की मंजरियों और फूलों की महक से वातावरण एक अद्भुद अलौकिक मिठास और मादकता से भर जाता है। वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है। इस दिन विद्या की देवी भगवती सरस्वती का जन्म दिन भी है।
भगवान श्रीकृष्ण को इस उत्सव का इष्टदेव माना जाता है। यही कारण है कि ब्रज प्रदेश में यह उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। राधा कृष्ण का आनंद-विनोद देखते ही बनता है।आज के दिन स्त्रियाँ अक्सर पीले वस्त्र पहनती हैं।
उत्तर प्रदेश में इस दिन से फ़ाग उड़ाना और फगुआ गायन आरम्भ हो जाता है। उपले एकत्रित करके होलिका निर्माण की शुरुआत भी आज के दिन से होती है। जिसपर लकड़ियाँ रखकर ऊँचाई बढ़ाने का कार्य होली के दिन तक निरंतर जारी रहता है और होली वाले दिन जलाकर होलिका दहन किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में इस दिन से फ़ाग उड़ाना और फगुआ गायन आरम्भ हो जाता है। उपले एकत्रित करके होलिका निर्माण की शुरुआत भी आज के दिन से होती है। जिसपर लकड़ियाँ रखकर ऊँचाई बढ़ाने का कार्य होली के दिन तक निरंतर जारी रहता है और होली वाले दिन जलाकर होलिका दहन किया जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु का पूजन, कामदेव का पूजन, माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन को बहुत पवित्र माना गया है।यादव समाज की ओर से इस पवित्र त्यौहार के शुभ अवसर पर सबको हार्दिक शुभ कामनाएँ।