हरियाणा उत्तर भारत का एक समृद्ध और उन्नत प्रान्त है। हरियाणा
शब्द की उत्त्पत्ति कब और कैसे हुई, इस सम्बन्ध में अनेक मत प्रचलित है।एक
मत के अनुसार 'अहिराणा' के अपभ्रंश से 'हरियाणा' शब्द की उत्त्पत्ति हुई।
एक अन्य मत, जो लोगों में अधिक मान्य है, के अनुसार हरियाणा शब्द की
उत्त्पत्ति 'हरि' के नाम से हुई। भगवान श्रीकृष्ण (हरि) वृज से द्वारिका
जाने के लिए अपने यान में बैठकर इस क्षेत्र से गुजरते थे। इस प्रकार ' हरि
+यान' के संयोजन से हरियाणा शब्द की उत्त्पत्ति हुई-ऐसा माना जाता
है। हरियाणा के अंतर्गत गुडगाँव,रेवाड़ी, महेन्दरगढ़,झज्जर और भिवानी जिले
का कुछ भाग तथा वर्तमान में राजस्थान की बहरोड़, मुडावर, बानसूर,कोटकासिम
तहसीलों वाला क्षेत्र अहीर बाहुल्य होने के कारण अहीरवाल कहलाने लगा।
स्वाधीनता की ढाल कहा जाने वाला अहीरवाल वीरता की अद्भुत मिसाल है। यहाँ
का व्यक्ति वीर, साहसी, पराक्रमी तथा निडर रहा है।
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महाभारत काल में यहाँ रेवत नामक राजा का राज था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। वह प्यार से उसे 'रेवा' पुकारता था। उसी के नाम पर राजा ने इस स्थान का नाम रेवा-वाड़ी रखा था। रेवती का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम से हुआ, तब राजा ने दान स्वरुप इसे बलराम जी को भेट कर दिया था। बाद में इसका नाम रेवा-वाड़ी से बदल कर रेवाड़ी हो गया।
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मुग़ल काल में यह वीर भूमि रेवाड़ी रियासत के नाम से विख्यात थी, जहाँ लम्बे समय तक यदुवंशियों का गौरवमयी शासन रहा। जिसने देश, समाज और जनहित में अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। इसी गौरवशाली राजवंश में महान योद्धा राव तुलाराम का जन्म हुआ। उनकी रहनुमाई में अहीरवाल के शूरवीरों ने प्रथम स्वाधीनता-संग्राम में जो खून की होली खेली थी, उसका उल्लेख भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में किया जायेगा। राव तुलाराम की वंशावली इस प्रकार है:-
रेवाड़ी राजवंश की वंशावली.
महाभारत काल में यहाँ रेवत नामक राजा का राज था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। वह प्यार से उसे 'रेवा' पुकारता था। उसी के नाम पर राजा ने इस स्थान का नाम रेवा-वाड़ी रखा था। रेवती का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम से हुआ, तब राजा ने दान स्वरुप इसे बलराम जी को भेट कर दिया था। बाद में इसका नाम रेवा-वाड़ी से बदल कर रेवाड़ी हो गया।
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मुग़ल काल में यह वीर भूमि रेवाड़ी रियासत के नाम से विख्यात थी, जहाँ लम्बे समय तक यदुवंशियों का गौरवमयी शासन रहा। जिसने देश, समाज और जनहित में अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। इसी गौरवशाली राजवंश में महान योद्धा राव तुलाराम का जन्म हुआ। उनकी रहनुमाई में अहीरवाल के शूरवीरों ने प्रथम स्वाधीनता-संग्राम में जो खून की होली खेली थी, उसका उल्लेख भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में किया जायेगा। राव तुलाराम की वंशावली इस प्रकार है:-
चरूराव: (907 ई. तिजारा राज्य के संस्थापक) । प्रबल राव । चतरु राम । कर्तव्य राव । सोपान राव । हरदेव राव । महासुख राव । चंद्रभान राव । हरपाल राव । । राव मादे सिंह राव उदय पाल (राव मादे सिंह ने दिल्ली (बोलनी, तीतीरका में आबाद हुए) के निकट सुरहेडा आदि 18 गाँव बसाये) । राव सुलखन सिंह । राव किरोड़ी पल । राव बीठुर सिंह | राव खरवंत सिंह । । राव हरचंद राव सुन्दर सिंह । राव रुडा सिंह(रेवाड़ी के संस्थापक) । राव राम सिंह । राव शहबाज सिंह । राव नन्दराम । । । राव मंशाराम राव गूजरमल राव बालकिशन (निसंतान) । (निसंतान) _______________________।____________________________________ । । । । । | राव राव राव राव राव राव भवानी तेजसिंह जीवनसिंह रामबख्श किशनसिंह सवाईसिंह सिंह | (नांगल ) (धारूहेडा (लिसान) (आसयाकी) | | | | | | _ |_____________ | | | | | | | राव राव राव | | दिलेर राम हीरा | | सिंह सिंह सिंह | | (दत्तक) (दत्तक ) (दत्तक ) | | | | | ___________________________ | । । । | राव राव राव | रामसिंह किशन रामलाल | गोपाल | | ______________________________ । | । राव राव राव पूर्णसिंह नाथूराम जवाहरसिंह | | (निसंतान) | | राव तुलाराम राव गोपालदेव । (राव राजा के | सेनापति) । राव युधिष्ठिर सिंह । राव बलबीर सिंह (दत्तक) __________ । । । । । राव वीरेन्द्र सिंह सुमित्रा देवी सुविद्या सोहन कौर देवी भागवत (दत्तक) (बाई जी) |
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