भगत जी-सीताराम यादव |
यादव जी का विवाह बचपन में ही हो गया था, क्योंकि उन दिनों छोटी आयु में विवाह कर देने की प्रथा थी। विवाह के पांच, सात अथवा नौ साल बाद गौना लाने की प्रथा थी। उसी प्रथा के अनुसार उनका विवाह भी छः वर्ष की छोटी आयु में हो गया था और उसके सात साल बाद गौना आया। सौभाग्य वश उनको गयादेई नामक सुशील एवं सभ्य पत्नी मिली। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियों के अतिरिक्त स्वामीनाथ नाम का एक परिश्रमी एवं होनहार पुत्र भी है। वह राजा सुखपाल इंटर कालेज, तिरहुन्त में अध्यापक है। । दोनो बेटियाँ, जिनके नाम चन्द्रावती और रेखा हैं, विवाहित है और अपने ससुराल में रहती हैं।
भगत जी की आवाज बहुत सुरीली है। इस कारण पढाई के दौरान उनको कविता गायन, अंताक्षरी आदि जनपदीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। अंताक्षरी की एक जनपदीय प्रतियोगिता में इनके द्वारा सुनाई गई निम्नलिखित कविता-पंक्तियों की बहुत सराहना हुई थी : -
पंकज कोश में भृंग फँस्यो, अपने मन यों करते मनसूबा।
होयेंगे प्रात उवायेंगे दिवाकर, मै उड़ि जाब पराग लै खूबा।
बीच में और की और भई,नहि जानत काल को ब्याल अजूबा।
आइ गयंद चबाइ गयो, रहिगें मन ही मन को मनसूबा।
भगत जी की आवाज बहुत सुरीली है। इस कारण पढाई के दौरान उनको कविता गायन, अंताक्षरी आदि जनपदीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। अंताक्षरी की एक जनपदीय प्रतियोगिता में इनके द्वारा सुनाई गई निम्नलिखित कविता-पंक्तियों की बहुत सराहना हुई थी : -
पंकज कोश में भृंग फँस्यो, अपने मन यों करते मनसूबा।
होयेंगे प्रात उवायेंगे दिवाकर, मै उड़ि जाब पराग लै खूबा।
बीच में और की और भई,नहि जानत काल को ब्याल अजूबा।
आइ गयंद चबाइ गयो, रहिगें मन ही मन को मनसूबा।
भगत जी का मुख्य व्यवसाय कृषि है। उसके अतिरिक्त शारदन बाजार में उनका एक वस्त्रालय भी है। दिन में अक्सर वह अपने उसी वस्त्रालय में बैठे हुए मिलते है।मृदुभाषी एवं मिलनसार होने के कारण उनके पास हर समय लोगों का आना -जाना लगा रहता है। सादा जीवन और उच्च विचार उनकी प्रमुखता है। विद्वान और उदार होने के साथ वे बांके बिहारी, भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त भी हैं और इस कारण अक्सर उनका वृन्दावन धाम आना -जाना लगा रहता है।
भगत जी को पंडिताई का अच्छा ज्ञान है। व्याह-शादियों आदि के लिए शुभ मुहूर्त विचारने में बहुत ही माहिर माने जाते हैं। लोगो के दुःख -सुख में सदैव तत्पर रहने वाले सीताराम जी का समाज के हर वर्ग में अच्छा मान-सम्मान है।
भगत जी को पंडिताई का अच्छा ज्ञान है। व्याह-शादियों आदि के लिए शुभ मुहूर्त विचारने में बहुत ही माहिर माने जाते हैं। लोगो के दुःख -सुख में सदैव तत्पर रहने वाले सीताराम जी का समाज के हर वर्ग में अच्छा मान-सम्मान है।
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