सोमवार, 10 जनवरी 2011
यादव: Jai Shri Radhe Jai Shri Krishna
यादव: यादव: Jai Shri Radhe Jai Shri Krishna
श्री राधा कौन है? श्री राधा का भग्वान श्रीकृष्ण के साथ क्या संबन्ध है? इन प्रश्नो के बारे मे श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अपने ग्रन्थ राधा माधव चिन्तन मे लिखते है- " ये तथा ऐसे ही अनेक प्रश्नो का उत्तर देने की न मुझमे योग्यता है, न हि शक्ति है, न बुद्धि है, न अधिकार है और न हि आवश्यकता ही है। श्री राधा जी के अनन्त रूप है, उनमे अनन्त गुण है, उनके स्वरूपभूत भाव-समुद्र मे अनन्त तिरन्गे उठती रहती है और उनको विभिन्न दृष्टियो से विभिन्न लोगो ने देखा है, अतएव उनके संबन्धो मे इतना ही कहा जा सक्ता है कि जो उन्हे जिस भाव से जानना चाहते है, वे उसी रूप मे जान सकते है।"
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वर्णयामि महापुण्यं सर्वपापहरं नृणां ।
यदोर्वन्शं नरः श्रुत्त्वा सर्वपापैः प्रमुच्यते।i
यत्र-अवतीर्णो भग्वान् परमात्मा नराकृतिः।
यदोसह्त्रोजित्क्रोष्टा नलो रिपुरिति श्रुताः।।
(श्रीमदभागवद्महापुराण)
अर्थ:
यदु वंश परम पवित्र वंश है. यह मनुष्य के समस्त पापों को नष्ट करने वाला है. इस वंश में स्वयम भगवान परब्रह्म ने मनुष्य के रूप में अवतार लिया था जिन्हें श्रीकृष्ण कहते है. जो मनुष्य यदुवंश का श्रवण करेगा वह समस्त पापों से मुक्त हो जाएगा.
यदोर्वन्शं नरः श्रुत्त्वा सर्वपापैः प्रमुच्यते।i
यत्र-अवतीर्णो भग्वान् परमात्मा नराकृतिः।
यदोसह्त्रोजित्क्रोष्टा नलो रिपुरिति श्रुताः।।
(श्रीमदभागवद्महापुराण)
अर्थ:
यदु वंश परम पवित्र वंश है. यह मनुष्य के समस्त पापों को नष्ट करने वाला है. इस वंश में स्वयम भगवान परब्रह्म ने मनुष्य के रूप में अवतार लिया था जिन्हें श्रीकृष्ण कहते है. जो मनुष्य यदुवंश का श्रवण करेगा वह समस्त पापों से मुक्त हो जाएगा.
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